Ajmer Master Plan 2033 - File Information
Map Name | Ajmer Master Plan 2033 |
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Available Formats | WEBPPDFJPGPNG |
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Category | Master Plans |
Related | Rajasthan Master Plans |
Ajmer Master Plan 2033 - Preview

Ajmer Master Plan 2033 - Summary
अजमेर रीजन में एडीए के क्षेत्राधिकार में आने वाले गांवाें की आबादी भी अब मास्टर प्लान के साथ मानचित्र में दर्शित हाेगी। अजमेर रीजन के जितने छाेटे-बड़े तालाब और जलस्त्राेत है, सभी काे प्रारूप में दर्शित किया गया है और इसके साथ ही यह भी बताया है कि इन जलस्त्राेताें में पानी की आवक की नाड़िया और नदी-नाले कितने व किस माप के हैं।
अजमेर में वन क्षेत्र की जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुए हैं अाैर पहाड़ियाें पर बस्तियां बस गई है। मास्टर प्लान के प्रारूप में रीजन के पूरे वन क्षेत्र की जमीन काे बारीकी से दर्शित किया गया है ताकि अब अतिक्रमण से बचाया जा सके। स्टेट और नेशनल हाइवे के दाेनाें ओर ग्रीन पट्टी बनाया जाना पहले से प्रस्तावित है लेकिन अब इसे मानचित्र में ही दर्शित कर दिया है। यह काेशिश की गई है कि रीजन के सभी सरकारी व अर्द्ध सरकारी कार्यालयाें काे चुनिंदा क्षेत्राें में एकीकृत रूप से स्थापित किया जाए ताकि आमजन काे सहूलियत हाे। पाेल्ट्री व्यवसाय अजमेर का बहुत महत्वपूर्ण व्यवसाय है और इसकाे इसकाे प्रोत्साहित करने के लिए नगरीयकरण सीमा क्षेत्र से बाहर ले जाना प्रस्तावित है। शहर में ऐसे कई नाले हैं जाे बड़े क्षेत्र काे घेरे हुए हैं और विस्तृत याेजना बनाते समय एडीए इन नालाें की चाैड़ाई निश्चित कर पाएगा।
शहर के प्राकृतिक प्रवाह काे दृष्टिगत रखते हुए दीर्घकालीन वर्षा जल निकास की याेजनाएं बनाना। इन मुद्दाें पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत पूर्व में शहर की विभिन्न सड़काें का मार्गाधिकार तय करते समय व्यवहारिक पक्ष की अनदेखी कर दी गई थी। यही वजह है कि जहां मार्गाधिकार 120 फीट बताया गया हैं वहां आधी से ज्यादा बिल्डिंग लाइन 50 फीट तक है। इन मार्गाें काे मार्गाधिकार के अनुरूप किया व्यवहारिक रूप से संभव ही नहीं है क्याेंकि अवाप्ति के लिए ही कराेड़ाें रुपए की राशि की जरूरत पड़ेगी।
इसलिए मार्गाधिकार माैके की वास्तविक स्थिति काे दृष्टिगत रखते हुए व्यवहारिक रूप से तय किए जाने चाहिए। जहां अब तक आबादी नहीं बसी है वहां की सड़काें का मार्गाधिकार तय कर उसे लगातार मैंटेन किया जाएगा तभी मार्गाधिकार का सही अर्थाें में सार्थक उपयाेग हाेगा।
शहर में कई इलाकाें का भू उपयाेग बरसाें पहले तय कर दिया उसके विपरीत वहां काॅलाेनियां बस गई है जिन्हें हटाना संभव नहीं है। इसका उदाहरण परबतपुरा इलाका है, जिसे औद्याेगिक क्षेत्र घाेषित किया हुआ है और वहां सैकड़ाें की संख्या में मकान बने हुए हैं, जिनका न ताे नियमन हाे रहा है और न ही इन्हें अब हटाया जा सकता है।
इसी तरह खातेदारी भूमि काे ओसीएफ के लिए मार्क कर दिया गया जबकि खातेदाराें ने वहां प्लाटिंग कर दी और नक्शे तक पास हाे गए। जनाना राेड पर एक ओर 450 फीट की चाैड़ाई में ओसीएफ तय किया हुआ है और वहां बड़ी संख्या में भवन बन गए हैं। इसलिए ओसीएफ सरकारी भूमि पर ही बनाए जाने चाहिए। इस तरह दे सकते हैं आपत्ति और सुझाव सबसे पहले ताे यह मालूम हाेना चाहिए कि प्रारूप मास्टर प्लान है क्या और उसमें किस जगह क्या भू उपयाेग तय किया गया है। इसके लिए एडीए की वेबसाइट www.urban.rajasthan.gov.in/ada पर प्रारूप का अवलाेकन किया जा सकता है या फिर एडीए कार्यालय में 50 रुपए जमा करवाकर प्रारूप की सीडी ली जा सकती है।
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